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मैं अयोध्या से जा रहा हूं।
home to go ayodhya
Senast uppdaterad: 2023-11-12
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वाराणसी मैं अयोध्या जा रहा हूं
varanasi i am going ayodhya to
Senast uppdaterad: 2024-05-04
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मैं अयोध्या से दिल्ली जा रहा हूं
i am going from ayodhya
Senast uppdaterad: 2024-02-03
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मैं अयोध्या से दिल्ली जा रहा हूं।
finally i enter ayodhaya
Senast uppdaterad: 2023-09-21
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उसने 1993 में अयोध्या में अधिग्रहण को उचित ठहराया .
it upholds the ayodhya acquisition of 1993 .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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एक साल में अयोध्या को हजारों तीर्थयात्री भेंट देते है ।
thousands of pilgrims are visit ayodhya in a year .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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इस ग्रंथ में अयोध्या का स्थान उड़ीसा ने ले लिया है ।
ajodhya has as it were withdrawn into temporary oblivion aubstituting orissa in its place .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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प्रभु श्रीराम के वनवास से लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप मालाएं जलाकर उनका स्वागत किया था।
the people of ayodhya had lit strings of lamps to welcome lord rama on his return from exile.
Senast uppdaterad: 2014-10-20
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दिसंबर में अयोध्या कांड़ पर उ ई गर्मागर्म चर्चा के दौरान धर्मनिरपेक्षता के तेवरों के विपरीत अब धर्मनिरपेक्षता की नई परिभाषा गढी जा रही है .
gone is the secular belligerence that marked the atmosphere during december ' s furore over ayodhya .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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पिछले सप्ताह संसद में अयोध्या पर बहस के दौरान खरबाल स्वेन ने अपने भाषण में विहिप की तारीफ करके वरिष् पार्टी नेताओं को परेशानी में ड़ाल दिया .
last week , during a parliamentary debate on ayodhya , kharbala swain had his senior party leaders squirming in their seats when he showered praise on the vhp in his speech .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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वह जिज्ञासा स्वाभाविक ही है कि बलराम दास ने , जो मूलतः भक्त और साधक ही थे , क्या सोचा जो वे सुदूर लंका से राक्षसों को उड़ीसा में अयोध्या के राजकुमार राम से युद्ध कराने ले आए ?
one wonders what really inspired balarama das , , primarily a bhakta and a sadhaka as he was , to summon the rakshasas all the way from lanka to orissa to fight a battle with a prince of ajodhya .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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' रघुवंश ' के सोलह सर्ग में कालिदास राजा कुश के शयनकक्ष में अयोध्या की नगरदेवी को नाटकीय ढंग से प्रकट करते हैं , तथा आश्चर्यचति राजा महिला आगंतुक से अनेक प्रश्न पूछते हैं ।
in the sixteenth canto of the raghuvamsa kalidasa dramatically introduces the presiding goddess of ayodhya into the sleeping chamber of the king kusa and makes the startled king ask several questions to the feminine intruder .
Senast uppdaterad: 2020-05-24
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vah khate khate mar gya *🦚🙏एक कहानी सुंदर सी🙏🦚* *💐💐"सीधे राम-टेढे कृष्ण"💐💐* *एक बार की बात है- वृंदावन का एक भक्त अयोध्या की गलियों में राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण जप रहा था। अयोध्या का एक भक्त वहाँ से गुजरा तो राधे-राधे-कृष्ण-कृष्ण सुनकर उस भक्त को बोला- अरे जपना ही है, तो सीता-राम जपो, क्या उस टेढ़े का नाम क्यों जपते हो ? वृन्दावन का भक्त भड़क कर बोला- "जरा जबान संभाल कर बात करो, हमारी जबान पान खिलाती है, तो लात भी खिलाती है। तुमने मेरे इष्ट को टेढ़ा कैसे बोला ?"* अयोध्या वाला भक्त बोला, "इसमें गलत क्या है ? तुम्हारे कन्हैया तो हैं ही टेढ़े। कुछ भी लिख कर देख लो-उनका नाम टैढ़ा- "कृष्ण" उनका धाम टेढ़ा - "वृन्दावन"। वृन्दावन वाला भक्त बोला, "चलो मान लिया, पर उनका काम भी टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़ा है, ये तुम कैसे कह रहे हो ?" अयोध्या वाला भक्त बोला - "अच्छा अब ये भी बताना पडेगा ? तो सुनों- यमुना में नहाती गोपियों के कपड़े चुराना, रास रचाना, माखन चुराना, ये कौन से सीधे लोगों के काम हैं ? और बता आज तक किसी ने उसे सीधे खडे देखा है क्या कभी ?" वृन्दावन के भक्त को बड़ी बेइज्जती महसूस हुई, और सीधे जा पहुँचा बिहारी जी के मंदिर। अपना डंडा डोरिया पटक कर बोला- "इतने साल तक खूब उल्लू बनाया लाला तुमने। ये लो अपनी लकुटी, करमरिया, और पटक कर बोला ये अपनी सोटी भी संभालो। हम तो चले अयोध्या राम जी की शरण में।" और सब पटक कर भक्त चल दिया। अब बिहारी जी मंद-मंद मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे चल दिये। भक्त की बाँह पकड कर बोले अरे- "भई तुझे किसी ने गलत भड़का दिया है।" पर भक्त नही माना तो बोले, "अच्छा जाना है। तो तेरी मर्जी, पर यह तो बता राम जी सीधे और मै टेढ़ा कैसे ?" यह कहते हुए बिहारी जी कुँए की तरफ नहाने चल दिये। वृन्दावन वाला भक्त गुस्से में अयोध्या वाले भक्त से हुई झैं-झैं और बेइज़्जती की सारी भड़ास निकाल दी। बिहारी जी मुस्कुराते रहे और चुपके से अपनी बाल्टी कुँए में गिरा दी। फिर भक्त से बोले अच्छा चले जाना पर जरा मदद तो कर जा, तनिक एक सरिया ला दे तो मैं अपनी बाल्टी निकाल लूँ। भक्त सरिया ला देता है, और श्री कृष्ण सरिये से बाल्टी निकालने की कोशिश करने लगते हैं। भक्त बोला इतनी अक्ल नही है, क्या इस सीधे सरिये से भला बाल्टी कैसे निकलेगी ? सरिये को तनिक टेढ़ा करो, फिर देख कैसे एक बार में बाल्टी निकल आएगी ! बिहारी जी मुस्कुराते रहे और बोले - "जब सीधेपन से इस छोटे से कुँए से एक छोटी सी बाल्टी नहीं निकाल पा रहा, तो तुम्हें इतने बड़े भवसागर से कैसे पार लगाऊँगा ! अरे आज का इंसान तो इतने गहरे पापों के भवसागर में डूब चुका है, कि इस से निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े के ही बस की बात है *सदैव प्रसन्न रहिये!!* *जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*🦚🙏एक कहानी सुंदर सी🙏🦚* *💐💐"सीधे राम-टेढे कृष्ण"💐💐* *एक बार की बात है- वृंदावन का एक भक्त अयोध्या की गलियों में राधे-कृष्ण, राधे-कृष्ण जप रहा था। अयोध्या का एक भक्त वहाँ से गुजरा तो राधे-राधे-कृष्ण-कृष्ण सुनकर उस भक्त को बोला- अरे जपना ही है, तो सीता-राम जपो, क्या उस टेढ़े का नाम क्यों जपते हो ? वृन्दावन का भक्त भड़क कर बोला- "जरा जबान संभाल कर बात करो, हमारी जबान पान खिलाती है, तो लात भी खिलाती है। तुमने मेरे इष्ट को टेढ़ा कैसे बोला ?"* अयोध्या वाला भक्त बोला, "इसमें गलत क्या है ? तुम्हारे कन्हैया तो हैं ही टेढ़े। कुछ भी लिख कर देख लो-उनका नाम टैढ़ा- "कृष्ण" उनका धाम टेढ़ा - "वृन्दावन"। वृन्दावन वाला भक्त बोला, "चलो मान लिया, पर उनका काम भी टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़ा है, ये तुम कैसे कह रहे हो ?" अयोध्या वाला भक्त बोला - "अच्छा अब ये भी बताना पडेगा ? तो सुनों- यमुना में नहाती गोपियों के कपड़े चुराना, रास रचाना, माखन चुराना, ये कौन से सीधे लोगों के काम हैं ? और बता आज तक किसी ने उसे सीधे खडे देखा है क्या कभी ?" वृन्दावन के भक्त को बड़ी बेइज्जती महसूस हुई, और सीधे जा पहुँचा बिहारी जी के मंदिर। अपना डंडा डोरिया पटक कर बोला- "इतने साल तक खूब उल्लू बनाया लाला तुमने। ये लो अपनी लकुटी, करमरिया, और पटक कर बोला ये अपनी सोटी भी संभालो। हम तो चले अयोध्या राम जी की शरण में।" और सब पटक कर भक्त चल दिया। अब बिहारी जी मंद-मंद मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे चल दिये। भक्त की बाँह पकड कर बोले अरे- "भई तुझे किसी ने गलत भड़का दिया है।" पर भक्त नही माना तो बोले, "अच्छा जाना है। तो तेरी मर्जी, पर यह तो बता राम जी सीधे और मै टेढ़ा कैसे ?" यह कहते हुए बिहारी जी कुँए की तरफ नहाने चल दिये। वृन्दावन वाला भक्त गुस्से में अयोध्या वाले भक्त से हुई झैं-झैं और बेइज़्जती की सारी भड़ास निकाल दी। बिहारी जी मुस्कुराते रहे और चुपके से अपनी बाल्टी कुँए में गिरा दी। फिर भक्त से बोले अच्छा चले जाना पर जरा मदद तो कर जा, तनिक एक सरिया ला दे तो मैं अपनी बाल्टी निकाल लूँ। भक्त सरिया ला देता है, और श्री कृष्ण सरिये से बाल्टी निकालने की कोशिश करने लगते हैं। भक्त बोला इतनी अक्ल नही है, क्या इस सीधे सरिये से भला बाल्टी कैसे निकलेगी ? सरिये को तनिक टेढ़ा करो, फिर देख कैसे एक बार में बाल्टी निकल आएगी ! बिहारी जी मुस्कुराते रहे और बोले - "जब सीधेपन से इस छोटे से कुँए से एक छोटी सी बाल्टी नहीं निकाल पा रहा, तो तुम्हें इतने बड़े भवसागर से कैसे पार लगाऊँगा ! अरे आज का इंसान तो इतने गहरे पापों के भवसागर में डूब चुका है, कि इस से निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े के ही बस की बात है *सदैव प्रसन्न रहिये!!* *जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Senast uppdaterad: 2021-02-22
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