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what are we going to do
kya we log bahdur
Last Update: 2018-08-09
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what are we going to do?
हम क्या करेंगे?
Last Update: 2017-10-12
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so what are we going to do now
तो अब हम क्या करने जा रहे हैं
Last Update: 2024-02-14
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what are you going to do
kya tum mujhe chahti ho
Last Update: 2024-01-17
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what are you going to do?
kya aap mere dost ban sakte ho
Last Update: 2023-10-07
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“ what are you going to do ? ” “
और तुम क्या करोगे ? ”
Last Update: 2020-05-24
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so what are we going to add here ?
तो क्या हम यहाँ जोड़ने के लिए जा रहे हैं ?
Last Update: 2020-05-24
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what are we going to be doing now
क्या हम अकेले मिल सकते ह
Last Update: 2022-06-11
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“ what are we going to do ? ” “ i don ' t know . ”
हम क्या करने जा रहे थे ? “ मुझे नहीं पता”
Last Update: 2020-05-24
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what chapter are we going today
आज हम क्या अध्ययन करने जा रहे हैं
Last Update: 2021-08-03
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so we have 80 pints , so what are we going to multiply or
हमारे पास 80 पाइंट हैं , इसलिए हम क्या गुना करने जा रहे हैं या
Last Update: 2020-05-24
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what are we going to do with the village land when we are not going to stay here ?
हम आखिर गांव की जमीन लेकर करेंगे भी क्या ?
Last Update: 2020-05-24
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what about resources ? how are we going to feed nine billion people ?
संसाधनों के बारे में क्या ? हम 9 सौ करोड़ लोगो के लिए खाना कहाँ से लायेंगे ?
Last Update: 2020-05-24
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now , we ' ve made a lot of plutonium in our reactors . what are we going to do with it ?
अब , हम अपने प्लूटोनियम का एक बहुत कुछ किया है रिएक्टरों . क्या हम इसे साथ क्या करने जा रहे हैं ?
Last Update: 2020-05-24
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what are we going to do? there is only one option, i'll repeat to you, only one option
तो अब हम क्या करने वाले है? अब हमारे पास केवल एक रास्ता बचा है, में दोहराता हूँ, केवल एक रास्ता बचा है वैज्ञानिकों व जलवायुवीय विशेषज्ञों के पास यह कल्पना से परे है पशुओं के द्वारा, उन्हें प्रयोग में लाकर झुण्ड बनाकर और चलाकर पूर्वकालीन रेवड़ व उनके शिकारियों के एवज मे प्रकृति की नक़ल करके मनुष्यों के पास, यही एक विकल्प है तो, हम उसे करते है इस चरागाह में यह कार्य केवल आगे करेंगे जानवरों के साथ प्रकृति की नक़ल करके हम बहुत अधिक प्रभाव डाल सकतें है, और हमने एसा किया हे, आप उसको देखें घांस ने अब मिटटी को पूरी तरफ से ढक लिया है विष्ठा, मूत्र, व कचरे या मल्च के रूप मे आप में जो बगिचेवाले है जानते ही होंगे मिट्टी बारिश को सोकने व पकड़ने को तैयार है कार्बन को एकत्रित करने, मीथेन को तोड़ने और हमने यह कर दिखाया, बिना आग से, बिना मिट्टी को नुकसान किये और पेड़ भी बढने के लिए आजाद है जब मुझे पहली बार यह अहसास हुआ की हमारे पास वैज्ञानिक के रूप में कोई राह नहीं है सिवाय, पूर्णत प्रमाणित पशुओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण का सामना करना, तो में पूरी तरह से दुविधा मे था हम एसा कैसे करने वाले थे? हमारे पास अनुभव था, १०००० सालों की चराई का उनके जानवरों के झुण्ड बनाकर घुमाने का, परन्तु उन्होंने जगत में बड़े-बड़े मानव निर्मित मरुस्थल बना दिए और - १०० साल "आधुनिक वर्षा विज्ञान के और उसने मरुस्थलीकरण को गति प्रदान की है, जैसा हमने पहले अफ्रिका में खोजा फिर अमेरिका में सुनिश्चित किया, और जैसा आप इस चित्र में देख रहें है संघीय सरकार द्वारा प्रबन्धित जमीन स्पष्टतः बहुत कुछ करने की अवश्यकता है मात्र पशु झुण्ड को चलाने के अतिरिक्त, और, हजारों सालों से मानव, प्रकृति की जटिलताओं से कभी भी परन्तु हम जीवविज्ञानियों और पर्यावरणविदों ने कभी इतनी जटिल समस्या का सामना नहीं किया तो, पहिये का फिर से आविष्कार करने की जगह, मेनें अन्य जगहों मे ढूंढने की कोशिश की, कभी किसी ने कुछ किया हो, और मेने पाई कुछेक नियोजन के तरीके जिनको में जीवविज्ञान मे अपना सकता था, और उनसे विकसित किया, जिसको हम कहते हें, सर्वांगीण प्रबंधन और नियोजित चराई एक योजना निर्माण प्रक्रिया, जो, प्रकृति की जटिलताओं का ध्यान रखती है और हमारी, सामाजिक, पर्यावरणीय व आर्थिक जटिलताओं का भी आज के समय में, हमारे साथ है ऐसी युवतीयाँ जो अफ्रिका के गावों में पड़ाती है की पशुओं को बड़े रेवड़ में किस तरह जोड़े, व प्रकृतिक चराई के लिए योजना कैसे बनाये, और वे अपने पशुओं को रात में कहाँ रखे क्योंकि हम रखते है शिकारी के रूप में, क्योंकि हमारे पास तो बहुत सी जमीन है और वे अपने पशुओं को रात में कहाँ रखे और फसल के खेत कैसे तैयार करें, फसलके उत्पादन मेंभी बहुत बड़ोतरी मिल रही है आओ हम कुछ परिणामों पर नजर डाले यह जगह जिम्बावे में हमारे काम के पास है यह, बारिश के बाद की स्थिति है इससाल अच्छी बारिश हुई है, अब सूखेका समय है पर जैसा की आप देख रहे है, जितनी भी बारिश हुई थी, लगभग सब के सब, मिट्टी की सतह से भाप बनकर उड़ गई है बारिश अभी ही बंद हुई है पर नदी सूख गई है, हमारे पास १५०००० लोग है, जो स्थायीरूप से बाह्य खाद्यान्न सहायता पर निर्भर है अब हम पास की जमीन देखते है, जिसकी व्यवस्था हम करते है, उसी बरसात के साथ, अब आप उसको देखो हमारी नदी में साफ पानी है और यह स्वस्थ्य भी है यह ठीक है घांस, झाड़ियाँ, पेड़, वन्यजीवों का उत्पादन प्रत्येक वस्तु अब अधिक उत्पादक है, और सही माइनो में हमें सूखे का कोई डर नहीं यहहमने किया पशुओं व बकरियोंकी संख्या बढाकर ४०० प्रतिशत, प्रकृति की नक़ल करने के लिये चराई की योजना और उनको समन्वित करना सबके साथ हाथी, भेंस जिराफ व अन्य पशुओं जो हमारे पास है शुरुआत के पहले हमारी जमीन ऐसी दिखती थी, लगभग ३० साल तक यह जमीन नग्न व कटावयुक्त थी चाहे कितनी भी बरसात हो ठीक? अब चिन्हित पेड़ को लेकर बदलाव देखें जैसे हमने पशुओं के साथ प्रकृति की नक़ल की यह एक दूसरी जमीन है जो नग्न थी और उसका कटाव हो रहा था उस चिन्हित पेड़ के नीचे देखिए, लगभग ३० सेंटीमीटर मिट्टी बह गई है! ठीक है! और अब, बदलाव को देखिये केवल प्रकृति की नक़ल व पशुओं के प्रयोग से अब वहाँ गिरे हुवे पेड़ भी दिख पद रहे है, जमीन ठीक होनेसे हाथी भी आकर्षित हो रहे है मेक्सिको, की यह जमीन बहुत बेकार होरही थी, मुझे पहाड़ी को चिन्हित करना पड़ा क्योंकि बदलाव बहुत ही बड़ा है (तालियाँ) मेने कारु के मरुस्थल में १९७० के साल से एक परिवार को सहायता देना शुरू किया दाहिने दिख रहे मरुस्थलीय जमीन को फिर से चारागाह बनाने मे, और अब उनके पोते-पोती उस जमीन पर है भविष्य के प्रति आश्वत और इसमें आये अविश्वसनीय बदलाव को देखिए जहाँ वो गली अब पूरी तरह ठीक हो गई है किसी और तरीके से नहीं वरन प्रकृतिकी नक़ल से हम फिर से परिवार की तिसरी पीड़ी देझ रहे है उस जमीन पर, उनका झंडा अभी भी लहरा रहा है पाटागोनिया के विशालकाय चारागाह बदल रहे मरुस्थल में, जैसा की यहाँ आपने देखा बीच में अर्जेंटीना का वैज्ञानिक दिख रहा है जिसने बीते सालों में, इस जमीन के धीमे-धीमे कमजोर होने का रिकॉर्ड तैयार किया है, जैसे-जैसे भेड़ों की संख्या कम होती गई उन्होनें एक रेवड़ में २५००० भेड़ें रखीं नियोजित चराई व प्रकृति की नक़ल कर रहे है और उन्होनें ५० % की बढोतरी रिकॉर्ड की है, इस जमीन से पहले ही साल के उत्पादन मे अफ्रिका के हिंषक हिस्से में भी हमारे पास चराई योजना बना रहा चरवाहा समाज है व खुलकर कहता है की अब यही एक रास्ता बचा है उनके समाज व संस्कृतियों को बचाने के लिए उस जमीन का ९५ प्रतिशत ही पशुओं के माध्यमसे मनुष्यों का पालन-पोषण कर सकता है में आपको यद् दिला दूँ में बात कर रहा हूँ, यह विश्व की वह जमीन हे जो हमारा भविष्य है जिसमे विश्व के हिंषक क्षेत्र भी शामिल है जहाँ मात्र पशु ही सबका पोषण कर सकते है ९५ प्रतिशत जमीन पर से विश्व में हमारे कम जलवायु परिवर्तन करते है मेरा मानना है, पेट्रोल वस्तुओं के कारण से या फिर पेट्रोलियम इंधनों से भी आगे पर इसका सबसे भयावह प्रभाव है, भूख, गरीबी, हिंसा, सामाजित बिखराव और युद्ध, और जब में आपसे चर्चा कर रहा हूँ, लाखों महिला, पुरुष, व बच्चे कष्ट झेल रहे है और मर रहे है और यह निरंतर चल रहा है, जलवायु परिवर्तन की रोक हमारे बसमें नहीं है चाहे पेट्रोलियम का उपयोग पूर्णत बंदकर दें मेरे विचार से, मेने आपको बताया है कि हम प्रकृति के साथ कैसे काम कर सकते है बहुत कम खर्च मे इस बिगाड़ को परिवर्तित करने के लिये हम तो यह कर ही रहे है १५० लाख हेक्टर जमीन पर पांचो महाद्वीप मे, और जो लोग समझते है, कार्बन के विषय मे, तो में करता हूँ, कार्बन की गणना भी समझ बढानें के लिए, जो में दिखा रहा हूँ, यदि हम वह करते है, हम हवासे यदि पर्याप्त कार्बन हटाते है और उसे चारागाह की मिट्टी में हजारों सालों के लिये संभाल करके व यदि दुनिया के आधे चरागाहों पर भी कर लिया जो मेंने आपको बताया है, हम अपने आपको ओध्योगीकरण के पूर्व की अवस्था में जा सकते है लोगो को पोषण प्रदान करते हुए में तो इसके अतिरिक्त कुछ भी सोच नहीं पाता जो हमारी धरती के लिए अवसर प्रदान करे अपने बच्चों के लिये, बच्चों के लिये, व संपूर्ण मानवता के लिये धन्यवाद्! तालियां धन्यवाद् (तालियाँ)
Last Update: 2019-07-06
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